|| AYODHYA RAM MANDIR ||
अयोध्या राम मंदिर इतिहास से लेकर वर्तमान में अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन तक की कहानी :
अयोध्या राम मंदिर इतिहास || AYODHYA RAM MANDIR HISTORY ||
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Toggleअयोध्या “भगवान श्री राम” की जन्मभूमि हैं, जिसकी स्थापना मानव जाति के प्रथम राजा “राजा मनु” ने की थी। हिंदी महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या पर इच्छवाकू वंश के कईंं राजाओं का राज्य था, जिनमें “भगवान श्री राम”, उनके पिता “राजा दशरथ” और उनके पश्चात् उनकी कईं पीढ़ियों ने भी अयोध्या में राज्य किया। श्री राम के बाद उनके पुत्र “कुश” अयोध्या का कारोबार सम्भालते हैं और कईं निर्माण कारी कार्य करवातें हैं , जिनमें “श्रीराम जन्मभूमि मंदिर” का भी निर्माण होता हैं।
समय के साथ “श्री राम” की करीब 44 पीढ़ियों ने अयोध्या पर राज़ किया जिनके आखिरी राजा “महारााजा बृहद्बल” हुए, जिनका कार्यकाल महाभारत के युद्ध के साथ समाप्त हुआ।जिसके पश्चात करीब 5th बीसी में उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट “विक्रमादित्य” आखेट करते हुए अयोध्या के जंगलों में विश्राम के लिए रुकते हैं, पर यह ज्ञान प्राप्त होने पर की यह “भगवान श्री राम” की जन्मभूमि हैं, वे एक विशाल मंदिर समेत सरोवर तथा महल इत्यादि का निर्माण करवाते हैं, जिसकी देखभाल आने वाले समय मे कईं राजा समय समय पर करते रहें।
मुग़ल काल के दौरान अयोध्या राम मंदिर का इतिहास :
AYODHYA RAM MANDIR HISTORY DURING MUGHAL PERIOD :
15वी शताब्दी में मुगल शासक “बाबर” भारत आता हैं और मुग़ल भारत में मुस्लिम समुदाय को बढ़ावा और हिंदुवों पर अपना अतिक्रमण करते हुए बहुत से मंदिरों को ध्वस्त करने का कार्य करते है। इसी बीच 1528-1529 में मीरबाकी जो कि बाबर का सेनापति था,अयोध्या राम मंदिर को तोड़कर वहापर बाबरी मस्जिद के ढांचे को खड़े करने का कार्य करता हैं। जिसके करीब 150 साल बाद, जब मुग़ल साम्राज्य समाप्ति की ओर था, तब ‘’राजा जय सिंह’’ जो की जयपुर के राजा हुआ करते थे,
उन्होंने मुगलों के साथ सांठगांठ करके मस्जिद के बाहर एक चबूतरे का निर्माण करवाया जहाँ राम मंदिर पुजारी, पूजा किया करते थे, जिसे हम राम चबूतरें के नाम से जानते हैं। राम चबूतरें के होने का प्रमाण उस समय के फेमस भूगोलिक जोसफ टेफेन्थैलर द्वारा भी दिया जाता हैं । || AYODHYA RAM MANDIR ||
अयोध्या राम मंदिर और ब्रिटिश :
AYODHYA RAM MANDIR AND BRITISH :
मुगलों का साम्राज्य खत्म होने के करीब 150 साल बाद 16वीं शताब्दी में भारत में ब्रिटिश का आगमन हुआ। ब्रिटिश शासन ने भारत के राष्ट्रीय ऋण को बढ़ाने तथा भारत के राजस्व को विदेशी देशों, मुख्य रूप से इंग्लैंड में ले जाने का कार्य किया।18वीं शताब्दी आते आते देश
में हिंदू समुदाय द्वारा “अयोध्या राम मंदिर निर्माण” की मांग जोरों शोरों से होने लगी थी, जिसे देखते हुए ब्रिटिश हुकूमत ने एक जाने माने सर्वेक्षक “मोंटगोमरी मार्टिन” द्वारा 1838 में बाबर मस्जिद का सर्वे करवाया, सर्वे के मुताबिक मस्जिद के पिलर्स हिंदू मंदिर के पिलर्स द्वारा लिए गए हैं, साथ ही कुछ हिंदू शिलालेख और हिंदू देवताओं की मूर्तियों के मिलने की बात सामने आई ।
जिसके बाद 1853 में “निर्मोही अखाड़ा” बाबरी मस्जिद की जगह पर राम मंदिर के होने का दावा करता हैं, इस दावे की वजह देश में काफी तनाव पूर्ण हालात हो जाते हैं और पहली बार हिन्दू मुस्लिम दंगे दुनिया में होते हैं , जो की आज तक चलता आ रहा हैं । इन दंगों को देखते हुए कुछ सालों के बाद 1857 में अंग्रेज मस्जिद और राम चबूतरे के बीच एक दीवाल का निर्माण करवा देते हैं , इस उम्मीद में की इस बटवारे के बाद हिन्दू मुस्लिम दंगों का सिलसिला रुक जाएगा।1885 में एक बार फिर “निर्मोही अखाड़ा” सामने आता हैं ओर इस बार वे कोर्ट का सहारा लेने की कोशिश करते हैं , जिसमें वें अयोध्या की बाबरी मस्जिद में राम चबूतरे के पास छोटा सा राम मंदिर बनाने और पूजा करने के लिए अपील करते हैं , लेकिन यह केस तुरंत ही खारिज हो जाता हैं ।
इसके बाद अंग्रेजों के द्वारा राम मंदिर के मुद्दे पर कुछ खास निर्णय नहीं लिया जाता है, अगर ब्रिटिश हुकूमत चाहती तो राम मंदिर का फैसला “मोंटगोमरी मार्टिन” के सर्वे के बाद ही कर सकती थी और शायद हमारे देश में हिन्दू मुस्लिम दंगों की आग कभी नहीं लगती। ||AYODHYA RAM MANDIR ||
1947 मे देश तो आजाद हो जाता है लेकिन लोगों के मन मे ये बात घर कर जाती है की देश तो आजाद हो गया लेकिन राम लला अभी भी आजाद नहीं हुए है।
देश के प्रख्यात प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान राम मंदिर हिस्ट्री ;
ACTIONS OF PRIMEMINISTER SHRI JAWAHARLAL NEHRU ON AYODHYA RAM MANDIR :
आजादी के करीब 2 साल बाद 1949 मे देश मे सांप्रदायिक दंगे होते हैं । इन्ही दंगों के दौरान कुछ लोग बाबरी मस्जिद में घुस जाते हैं और कुछ तोड़फोड़ के बाद, राम चबूतरे पर रखी राम मूर्ति को मस्जिद के गुंबज के ठीक नीचे रखकर पूजा करने लगते हैं। इसके बाद देश के पीएम, ‘’जवाहर लाल नेहरू” की तरफ से अयोध्या के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ‘’केके नायर” के ऊपर स्थिति पहले जैसे करने के लिए बार बार दबाव बनाने पर, केके नायर अपना इस्तीफा दे देते हैं, साथ ही देश के प्रधानमंत्री को यह सुझाव भी देते हैं, कि आप यह केस कोर्ट को दे दीजिए। प्रधानमंत्री “जवाहरलाल नेहरू” ने इस्तीफा तो मंजूर नहीं किया, लेकिन उन्होंने यह केस कोर्ट को दे दिया, इस प्रकार यह मामला कोर्ट में चला जाता हैं । || AYODHYA RAM MANDIR ||
अयोध्या राम मंदिर के मामले में कोर्ट में अनेक मामलों का सिलसिला :
AYODHYA RAM MANDIR'S JOURNEY THROUGH A SERIES OF CASES :
1950
जनवरी 1950 में “हिंदू महासभा” और “दिगंबर अखाड़ा” के द्वारा कोर्ट में केस दाखिल किया जाता हैं, यह अपील करते हुए की हिन्दुओं को मंदिर के अंदर पूजा करने की अनुमति दे दी जाए। इस पर कोर्ट देश में हिंदू मुस्लिम दंगों को ध्यान में रखते हुए, हिंदू और मुस्लिम दोनो समुदाय के प्रवेश पर पाबंदी लगा देता हैं , और इस ढांचे को विवादित ढांचे का नाम दे देता हैं ।
1959
इसके बाद 1959 मेंं एक बार फिर “निर्मोही अखाड़ा” की तरफ से कोर्ट में एक और केस जाता हैं , ये मांग करते हुए हैं कि मंदिर का पूरा नियंत्रण उन्हें दे दिया जाए, क्योंकि राम चबूतरे की देखभाल तथा पूजा का कार्यभार वर्षों से वही संभाल रहे थे।
1961
2 साल बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से कोर्ट में एक और केस किया जाता हैं , जिसमें वो ये मांग करते हैं कि जब यह ढांचा एक मस्जिद हैं, तो इसमें मुस्लिम समुदाय को नमाज़ अदा करने की इजाजत दी जाए और हिंदुओं की प्रवेश पर रोक लगा दी जाए।
भारतीय जनता पार्टी का आगमन के साथ अयोध्या राम मंदिर गतिविधियों मे तेजी :
ACCELERATION IN AYODHYA RAM TEMPLE ACTIVITIES WITH THE ARRIVAL OF BHRATIYA JANATA PARTY :
1980 मे भारतीय जनता पार्टी बनती हैं, जिसके बाद देश के की हिन्दू संगठन काफी सक्रिय होकर अयोध्या राम मंदिर निरामन की मांग करने लगते हैं।
प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अयोध्या राम मंदिर पर वोट बैंक की राजनीति : VOTE BANK POLITICS OF PRIME MINISTER RAJEEV GANDHI ON AYODHYA RAM MANDIR ISSUE :
1986 मे न्यायालय एक मुस्लिम महिला शाह बानो को निर्वाह-व्यय के समान जीविका दिए जाने का निर्देश देती है जिसे लेकर भारत के रूढ़िवादी मुसलमानों को यह लगता है की यह निर्णय उनकी संस्कृति और विधानों पर अनाधिकार हस्तक्षेप था।इस केस मे प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी कोर्ट का फैसला बदल देते है जिससे की मुस्लिम उन्हें समुदाय के वोटों का लाभ मिल सके, इस घटना के बाद हिन्दू समुदाय राजीव गांधी से काफी नाराज हो जाते है, उन्हे खुश करने के लिए राजीव गांधी जी के इशारों पर 24 घंटे के अंदर फैजाबाद की अदालत मे एक केस आता है और उसका फैसला भी 24 घंटे 1 फरवरी 1986 को हिन्दू के मंदिर मे प्रवेश की अनुमति दे दी जाती हैं जिसे लेकर एक बार फिर मुस्लिम समुदाय प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी से फिर नाराज हो जाते हैं। || AYODHYA RAM MANDIR ||
अयोध्या राम मंदिर से जुड़ी बिहार भागलपुर दंगे की कहानी :
AYODHYA RAM TEMPLE LINKED TO THE STORY OF THE BIHAR BHAGALPUR RIOTS :
इसके बाद “विश्व हिंदू परिषद” देशभर में राम मंदिर बनवाने के लिए आंदोलन कर रहे थे, इसी सिलसिले में अक्टूबर 1989 में भागलपुर में एक आंदोलन का
आयोजन किया जाता हैं, जिसमें कुछ अफवाहों के कारण हिंदू दंगे भड़क जाते हैं , जिसमें करीब 1000 लोग मारे जाते हैं । इसके बाद 9 नवंबर को “विश्व हिंदू परिषद” राम मंदिर के पास ही एक जमीन पर शिलान्यास करने की घोषणा करता हैं, और यह ऐलान करता हैं कि बीजेपी एक रथ यात्रा निकालेगी जो कि सोमनाथ से अयोध्या तक जाएगी। 25 सितंबर 1990 को “लालकृष्ण आडवाणी” सोमनाथ से रथयात्रा लेकर निकलते हैं। मुस्लिम समुदाय इस रथयात्रा को रोकने के लिए काफी दंगे कर रहे थे। करीब एक महीने बाद 23 अक्टूबर 1990 को रथ यात्रा बिहार के समस्तीपुर पहुचता हैं , जहाँ पर बिहार के मुख्यमंत्री’’ लालू प्रसाद यादव” बीजेपी के दिग्गज नेता ’’लालकृष्ण आडवाणी” और ‘’प्रमोद महाजन” को गिरफ्तार करवा लेते हैं, यह खबर बीजेपी में फैलते ही, बीजेपी अपना सरकार से समर्थन वापस ले लेती हैं , जिसकी वजह से प्रधानमंत्री ‘’ वीपी सिंह” की सरकार गिर जाती हैं।जिसके करीब एक हफ्ते बाद 30 अक्टूबर 1990 को जिसदिन रथ यात्रा का समापन होना था, अयोध्या में हिन्दू-मुस्लिम भड़क जाते हैं, जिसे देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ‘’मुलायम सिंह यादव” कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दे देते हैं , जिसमें काफी कारसेवक मारे जाते हैं । इस घटना के बाद ही मुलायम सिंह यादव को लोग “मुल्ला मुलायम” के नाम से बुलाने लगते हैं। || AYODHYA RAM MANDIR ||
अयोध्या राम मंदिर के लिए हुआ बाबरी मस्जिद का विध्वंश :
DEMOLITION OF BABARI MASJID FOR AYODHYA RAM TEMPLE :
जिसके बाद दिल्ली में ही, विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी के बड़े लीडर्स के द्वारा एक प्राइवेट मीटिंग की जाती हैं, जिसमें वे ऐलान करते हैं, कि 6 दिसंबर को कार सेवा दिवस मनाया जाएगा। जिसके बाद 1 दिसंबर से ही काफी तादाद में कारसेवक अयोध्या में इकट्ठे होने लगते हैं, || AYODHYA RAM MANDIR ||
5 दिसंबर को बीजेपी के बड़े नेता ‘’लालकृष्ण आडवाणी” ‘’वजपाई” और उमा भारती अयोध्या पहुंचते हैं। 6 दिसंबर 1992 को सुबह से ही माना जाता हैं कि अयोध्या में करीब 2,00,000 कारसेवक आ गए थे। 10 बजते बजते यह भीड़ काफी उग्र हो जाती हैं , और 11:30 बजे के करीब ये लोग मस्जिद
के गुंबद पर चढ़ जाते हैं, और उस दिन शाम होते होते मस्जिद के ढांचे को गिरा देते हैं। जिसके बाद वहाँ पर एक मंदिर का निर्माण करते हैं , जिसमें राम राम मूर्ति रखकर पूजा भी की जाती हैं। यह खबर दिल्ली में पता चलते ही कांग्रेस के द्वारा उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू लार दिया जाता हैं और ‘’कल्याण सिंह” जो कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे उन पर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का भी केस लगाया जाता हैं , जिसके बाद ‘’कल्याण सिंह” अपना इस्तीफा सौंप देते हैं । इस खबर के देश भर में फैलते ही देश भर में दंगे होते हैं, जिसमें करीब 2000 लोग मारे जाते हैं, ये दंगे देश तक की सीमित रहते हैं, पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी काफी तोड़ फोड़ होती हैं। || AYODHYA RAM MANDIR ||
1993 मुंबई बॉम्ब ब्लास्ट;
इस दंगे की आग मुंबई तक पहुंचती हैं जहाँ करीब 900 लोग मारे जाते हैं और काफी दफ्तर तोड़ दिए जाते हैं , जिसमें याकूब मेमन का भी दफ्तर टूट जाता हैं , जिसके बदले में याकूब मेमन “1993 मुंबई बॉम्ब ब्लास्ट” करवाता हैं जिसमें कि 257 लोग मारे जाते हैं। जिसके बाद अप्रैल 2003 में हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा यह केस एएसआई को दिया जाता हैं। एएसआई छह महीने खुदाई करती हैं , जिसमें यह दर्ज होता हैं कि इस ढांचे मे 10 से 12 सेंचुरी के हिंदू मंदिर के अवशेष हैं, जिसके बाद देश की स्थिति काफी खराब हो जाती हैं और काफी दंगे भड़क जाते हैं , जिसमे ही जुलाई 2005 में लश्कर ए तैयबा के करीब पांच आतंकवादी मंदिर के कॉम्प्लेक्स में घुसकर हमला कर देते हैं , जिसमें छह लोग मारे जाते हैं और पांचों आतंकवादी भी मारे जाते हैं । जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद द्वारा 2006 में इस हमले को देखते हुए बुलेट प्रूफ मंदिर बनवाने की मांग की जाती हैं , लेकिन मुस्लिम पक्ष इसका कोर्ट में विरोध कर देता हैं । || AYODHYA RAM MANDIR ||
अयोध्या राम मंदिर पर कोर्ट का पहला फैसला :
COURT'S FIRST VERDICT ON AYODHYA RAM TEMPLE :
इसी बीच 30 दिसंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा एक फैसला सामने आता हैं, जिसमें 2.77 एकड़ विवादित जमीन के तीन हिस्से होते हैं , जिसमें से पहला हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास को दिया जाता हैं, जो कि मंदिर का केन्द्रीय हिस्सा होता हैं, दूसरा हिस्सा, राम चबूतरा और सीता रसोई निर्मोही अखाड़ा को दी जाती हैं , तथा बाकी बची जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दी जाती हैं । यह फैसला किसी पक्ष को मंजूर नहीं था और वे 2011 में सुप्रीम कोर्ट चले जाते हैं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा देती हैं, यह कहते हुए कि यह फैसला तो किसी पक्ष को भी नहीं चाहिए था। इसके बाद सात सालों तक इस केस में कोई भी सुनवाई नहीं होती हैं । || AYODHYA RAM MANDIR ||
सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या राम मंदिर पर फैसला :
SUPREME COURT'S VERDICT ON AYODHYA RAM TEMPLE :
इसके बाद तारीख आता हैं , 9 नवंबर 2019 जीस दिन यह ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सुनाया जाता हैं। एएसआइ रिपोर्ट को मध्यनजर रखते हुए 2.77 एकड़ जमीन राम जन्मभूमि न्यास को दी जाती हैं, और अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन अलग से मुस्लिम समुदाय को दे दी जाती हैं। यह फैसला पहली बार पूरा देश बिना की आपत्ति के स्वीकार करता है, जीस प्रकार से मौजूदा सरकार ने इस पूरे मामले को सम्हाल वह काफी प्रसंशनीय है। जिसके बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री ‘’नरेंद्र मोदी” अयोध्या पहुँचकर राम मंदिर का शिलान्यास और भूमिपूजन का कार्य संपन्न कराते हैं , और उम्मीद हैं कि 2023 के साथ ही राम मंदिर का निर्माण कार्य कंप्लीट हो जाएगा। || AYODHYA RAM MANDIR ||
यह थी भगवान श्री राम के अयोध्या मंदिर की कहानी । हमे अपने अतीत को कभी नहीं भूलना चाहिए इसके बजाय हमे अपने अतीत से सिख लेते हुए भविष्य की तरफ़ अग्रसर होना चाहिये।
|| AYODHYA RAM MANDIR ||
thankyou
thankyou